अमेरिकी दबाव बेअसर, भारत ने बढ़ाया रूसी तेल आयात, अक्टूबर में 14.8 लाख बैरल प्रतिदिन पहुंचा स्तर

अमेरिकी दबाव बेअसर, भारत ने बढ़ाया रूसी तेल आयात, अक्टूबर में 14.8 लाख बैरल प्रतिदिन पहुंचा स्तर

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नई दिल्ली। अमेरिका के दबाव और रूस पर नए प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने अक्टूबर महीने में रूस से कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) का आयात बढ़ा दिया है। शिप-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, अक्टूबर में भारत ने रूस से लगभग 14.8 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) तेल आयात किया, जो सितंबर के 14.4 लाख बीपीडी से थोड़ा अधिक है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका के ताजा प्रतिबंधों के चलते नवंबर के अंत तक आयात में गिरावट देखने को मिल सकती है।

अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच भारत का संतुलन

अमेरिका ने हाल ही में रूस की दो प्रमुख तेल कंपनियों लुकोइल (Lukoil) और रोसनेफ्ट (Rosneft) पर नए प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका का यह कदम मॉस्को पर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने का दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है। इन प्रतिबंधों के चलते भारतीय तेल रिफाइनरियों ने फिलहाल रूसी कंपनियों से नए ऑर्डर रोक दिए हैं और स्पॉट मार्केट में अन्य विकल्पों की तलाश शुरू कर दी है।

भारतीय रिफाइनरियों की नई रणनीति

रिलायंस इंडस्ट्रीज, मैंगलोर रिफाइनरीज एंड पेट्रोकेमिकल्स (MRPL) और एचपीसीएल-मित्तल एनर्जी जैसी कंपनियों ने फिलहाल रूसी तेल की नई खेप खरीदना बंद कर दिया है। वहीं अन्य रिफाइनरियां उन रूसी सप्लायरों से तेल खरीदने की योजना बना रही हैं, जिन पर अभी प्रतिबंध लागू नहीं हुए हैं।

केप्लर (Kpler) के विश्लेषक सुमित रितोलिया के अनुसार, “21 नवंबर तक रूसी तेल का आयात स्थिर रहेगा, लेकिन उसके बाद इसमें निश्चित रूप से कमी आएगी।” अमेरिका ने कंपनियों को इन प्रतिबंधित रूसी उत्पादकों से अपने सभी सौदे 21 नवंबर तक समाप्त करने की समय सीमा दी है।

रिफाइनरियां अबू धाबी और अमेरिका की ओर

अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद रिलायंस ने स्पॉट मार्केट से लाखों बैरल कच्चा तेल खरीदा है। वहीं MRPL ने दिसंबर में रूस की सप्लाई की जगह ग्लेनकोर के माध्यम से अबू धाबी मुरबन क्रूड के 20 लाख बैरल खरीदे हैं।

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने भी 2026 की पहली तिमाही के लिए अमेरिका से 2.4 करोड़ बैरल तेल आयात करने के लिए शुरुआती बोलियां आमंत्रित की हैं।

रूस से अब तक भारत का सबसे बड़ा तेल व्यापार

2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से भारत समुद्री मार्ग से रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है। अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, 2025 के पहले नौ महीनों में भारत ने औसतन 19 लाख बीपीडी रूसी तेल का आयात किया, जो रूस के कुल समुद्री निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत है।

अमेरिका का लक्ष्य और भारत की ऊर्जा सुरक्षा

अमेरिका का उद्देश्य रूस के तेल निर्यात को कम करके उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करना है, ताकि वह यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने पर मजबूर हो।

वहीं भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए संतुलन की नीति अपना रहा है और रूस, अमेरिका, खाड़ी देशों समेत कई स्रोतों से तेल आपूर्ति के विकल्प तलाश रहा है।

इस परिदृश्य में भारत की चुनौती यह है कि उसे कूटनीतिक दबाव और ऊर्जा जरूरतों के बीच ऐसा संतुलन बनाना होगा जिससे न उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो और न ही उसके रणनीतिक संबंध।