भारतीय महिलाओं की पहली पसंद होती है साड़ी, जान‍िए बनारसी और कांजीवरम में फर्क

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भारत देश में शायद ही कोई ऐसा महिला होगी, जिसे साड़ी पहनना पसंद नहीं होगा। चाहे शादी-विवाह हो या फिर कोई अन्य कार्यक्रम हर उम्र की महिलाओं को खूबसूरत दिखने के लिए साड़ी सबसे बेहतरीन ऑप्शन लगती है। साड़ियों के प्रति महिलाओं का प्यार और क्रेज किसी से छिपा नहीं है।

खासतौर पर अगर बात करें सिल्क की साड़ियों की तो महिलाओं को सिल्क की साड़ियां काफी पसंद आती है। अभिनेत्रियां भी सिल्क की साड़ी पहनना काफी पसंद करती हैं। ज्यादातर महिलाएं कांजीवरम और बनारसी साड़ी को ही प्राथमिकता देती हैं।

लोगों को लगता है कि कांजीवरम और बनारसी साड़ी एक जैसी ही होती है, जबकि ऐसा नहीं है। ये साड़ियां हाथ से बनाई जाती हैं, इसलिए इनका दाम काफी ज्यादा होता है। इसके साथ ही दोनों की चमक भी तकरीबन एक ही जैसी होती है, जिस वजह से इनमें अंतर बता पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसी के चलते आज के लेख में हम आपको कांजीवरम और बनारसी सिल्क की साड़ी के अंतर बताने जा रहे हैं।

बनारसी और कांजीवरम साड़ियों को लेकर महिलाओं में हमेशा से ही क्रेज देखने को मिलता है, क्योंकि हैंडलूम साड़ियों से रिच लुक मिलता है. एक्ट्रेस भी अक्सर कांजीवरम औैर बनारसी साड़ियों में दिखाई देती हैं. ये साड़ियां बेहद मेहनत के साथ बनाई जाती हैं और ये काफी महंगे दामों में भी आती हैं, हालांकि कई बार महिलाएं कांजीवरम और बनारसी साड़ियों में फर्क करने में चूंक जाती हैं. ऐसे में अगर आपको सही जानकारी हो तो आप आराम से कांजीवरम और बनारसी साड़ी में फर्क कर सकती हैं.

कांजीवरम साड़ी और बनारसी साड़ी लगभग देखने में एक जैसी ही लगती हैं और दोनों के फैब्रिक की चमक भी करीब बराबर ही होती है. इसलिए इनमें कई बार फर्क करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन ये काफी अलग होती हैं. तो चलिए जानते हैं कि आखिर इन दोनों हैंडलूम साड़ियों में आप कैसे अंतर पता कर सकती हैं.

कांजीवरम और बनारसी साड़ी का इतिहास

कांजीवरम साड़ी का ताल्लुक मुख्य रूप से दक्षिण भारत के तमिलनाडु से है और ये साड़ियां असली रेशम के गोल्डन धागों से बनाई जाती हैं. वहीं बनारसी साड़ी की बात करें तो इसके नाम से ही पता चलता है. ये बनारस की पहचान है. बनारसी साड़ियों को जरी के धागे से बुना जाता है और अलग-अलग पैटर्न बनाए जाते हैं.

साड़ियों का प्रिंट होता है अलग

बनारसी साड़ियों का इतिहास 2000 साल पुराना बताया जाता है. इनमें मुगल प्रेरित डिजाइन बनाए जाते हैं. इसमें आपको अमूमन बेल, पत्तियां, अमरू, अंबी, दोमक आदि के पैटर्न बने हुए देखने को मिलते हैं. इसके डिजाइन काफी सफाई के साथ बने हुए होते हैं.

लाइट पड़ते ही बदलता है सिल्क का रंग

कांजीवरम साड़ियों को शहतूत के रेशम से बनाया जाता है. ये छूने में काफी हल्की और मुलायम होती हैं. वहीं बनारसी साड़ी अपने जरी वर्क की वजह से थोड़ी भारी हो सकती हैं. अगर इन पर लाइट पड़ती है तो आप देखेंगे कि इसका फैब्रिक अलग-अलग तरह की चमक मारता है. वहीं इसके धागों को खुरचने पर अंदर सा लाल सिल्क निकलता है.

– एजेंसी